नितीपरायण तथा साहसी बनो, अन्त:करण पूर्णतया शुद्ध रहना चाहिए| पूर्ण नीतिपरायण तथा साहसी बनो- अपने प्राणों के लिए भी कभी न डरो| धार्मिक मत – मतान्तरों को लेकर व्यर्थ में माथापच्ची न करना| कायर लोग भी पापाचरण करते हैं, वीरपुरुष कभी भी पापानुष्ठान नहीं करते – यहाँ तक कि कभी वे अपने मन में भी पापचिन्ता का उदय नहीं होने देते| प्राणिमात्र से प्रेम करने का प्रयास करो|
Author :DR SURUCHI PANDEY, RAMAKRISHNA MATH
स्वामी विवेकानन्द सचित्र जीवन दर्शन / Swami Vivekananda Sachitra Jiavn Darshan
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