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Swami Vivekananda Pages
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Pt. Suryakant Tripathi Nirala Choose Quantity
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युवावस्था मानवजीवन का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण काल है। इसी अवस्था में मानव की अन्तर्निहित अनेकविध शक्तियाँ विकासोन्मुख होती हैं। संसार के राजनैतिक, सामाजिक या धार्मिक क्षेत्र में आज तक जो भी हितकर क्रान्तियाँ हुईं उनका मूलस्रोत युवशक्ति ही रही है। वर्तमान युग में मोहनिद्रा में मग्न हमारी मातृभूमि की दुर्दशा तथा अध्यात्मज्ञान के अभाव से उत्पन्न समग्र मानवजाति के दु:ख-क्लेश को देखकर जब परिव्राजक स्वामी विवेकानन्द व्यथित हृदय से इसके प्रतिकार का उपाय सोचने लगे तो उन्हें स्पष्ट उपलब्धि हुई कि हमारे बलवान्, बुद्धिमान, पवित्र एवं नि:स्वार्थ युवकों द्वारा ही भारत एवं समस्त संसार का पुनरुत्थान होगा। उन्होंने गुरुगम्भीर स्वर से हमारे युवकों को ललकारा : ‘‘उठो, जागो — शुभ घड़ी आ गयी है’’, ‘‘उठो, जागो — तुम्हारी मातृभूमि तुम्हारा बलिदान चाहती है’’, ‘‘उठो, जागो — सारा संसार तुम्हें आह्वान कर रहा है!’’ युवशक्ति को प्रबोधित करने के लिए स्वामीजी ने आसेतुहिमाचल भारतवर्ष के विभिन्न प्रान्तों में जो तेजोदीप्त भाषण दिये उन्हें पढ़ते हुए आज भी हृदय में नवीन शक्ति और प्रेरणा का संचार होता है। हमारे युवकों के लिए इन स्फूर्तिदायी भाषणों का एक स्वतन्त्र संग्रह अत्यन्त आवश्यक था। अद्वैत आश्रम, कलकत्ता द्वारा `To the Youth of India' नाम से इस प्रकार का संकलन पहले ही प्रसिद्ध किया गया था। उसी का अनुसरण करते हुए ‘राष्ट्रीय युव वर्ष’ के उपलक्ष्य में हमने ‘भारत में विवेकानन्द’ ग्रन्थ की सहायता से प्रस्तुत पुस्तक का यह संकलन किया।