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स्वामी विवेकानन्द आधुनिक मानव के आदर्श प्रतिनिधि हैं। विशेषकर भारतीय युवकों के लिए स्वामी विवेकानन्द से बढ़कर दूसरा कोई नेता नहीं हो सकता। हमारे भूतपूर्व प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरू ने बहुत पहले ही स्वामीजी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा था : ‘‘मैं नहीं जानता हमारी युवा पीढ़ी में कितने लोग स्वामी विवेकानन्द के भाषणों और लेखों को पढ़ते हैं। परन्तु मैं उन्हें यह निश्चित बता सकता हूँ कि, मेरी पीढ़ी के बहुतेरे युवक उनके द्वारा अत्यधिक मात्रा में प्रभावित हुए थे। मेरे विचार में, यदि वर्तमान पीढ़ी के लोग स्वामी विवेकानन्द के भाषणों और लेखों को पढ़ते हैं। परन्तु मैं उन्हें यह निश्चित बता सकता हूँ कि, मेरी पीढ़ी के बहुतेरे युवक उनके द्वारा अत्यधिक मात्रा में प्रभावित हुए थे। मेरे विचार में, यदि वर्तमान पीढ़ी के लोग स्वामी विवेकानन्द के भाषणों और लेखों को पढ़े तो उन्हें बहुत बड़ा लाभ होगा और वे बहुत कुछ सीख पाएँगे। ... यदि तुम स्वामी विवेकानन्द के भाषणों और लेखों को पढ़ो तो तुन्हें यह आश्चर्यकारक बात दिखाई देगी कि वे कभी पुराने नहीं प्रतीत होते। ... उन्होंने हमें कुछ ऐसी वस्तु दी है जो हममें अपनी उत्तराधिकार के रूप में प्राप्त परम्परा के प्रति एक प्रकार का अभिमान — यदि मैं इस शब्द का व्यवहार कर सकूँ — जगा देती है। ... स्वामीजी ने जो कुछ भी लिखा या कहा है वह हमारे लिए हितकर है और होना ही चाहिए तथा वह आनेवाले लम्बे समय तक हमें प्रभावित करना रहेगा। ... प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में उन्होंने वर्तमान भारत को दृढ़ रूप से प्रभावित किया है। और मेरे विचार में तो हमारी युवा पिढ़ी स्वामी विवेकानन्द से नि:सृत होनेवाले ज्ञान, प्रेरणा एवं तेज के स्रोत से लाभ उठाएगी।’’