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इस पुस्तक में स्वामीजी के व्याख्यान, कुछ प्रवचनों का सारांश तथा लेख संग्रहीत किये गये हैं। भक्तिशास्त्र सम्बन्धी ग्रन्थों में ‘नारदभक्तिसूत्र’ का स्थान विशेष महत्त्वपूर्ण है। स्वामी विवेकानन्द द्वारा किया हुआ नारदभक्तिसूत्रों का यह मुक्त अनुवाद भक्तिमार्ग के पथिकों के लिए अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध होगा। स्वामी विवेकानन्दजी के भक्तिसम्बन्धी प्रवचन तथा व्याख्यान हमें भक्तियोग की स्पष्ट व्याख्या प्रदान करते हैं; साथ ही उनके द्वारा भक्ति की महिमा भी प्रकट होती है। भक्तिसाधना सफल होने के लिए किन विशिष्ट गुणों की आवश्यकता हैं, यह विषय भी बड़े हृदयग्राही ढंग से स्वामीजी ने इस पुस्तक में स्पष्ट कर दिया है। स्वामीजी द्वारा कथित एवं लिखित बिल्वमंगल और बालक गोपाल की कथाएँ भी इस पुस्तक में सम्मिलित हैं। इन आख्यानों से यह स्पष्टरूपेण जाना जा सकेगा कि ये गुण भक्त के जीवन में किस तरह प्रकट होते हैं। प्रस्तुत पुस्तक साधकों को नवीन उत्साह तथा प्रेरणा प्रदान कर भगवद्दर्शन के लक्ष्य की ओर अग्रसर कराने में सहायक सिद्ध होंगे। इस पुस्तक में संग्रहीत सभी प्रवचन, लेख आदि अद्वैत आश्रम मायावती द्वारा प्रकाशित ‘विवेकानन्द साहित्य’ से संकलित किये गये हैं।