H040 Man Ki Shaktiyan (मन की शक्तियाँ तथा जीवन-गठन की साधनाएँ)
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Author
Swami Vivekananda Pages
56 Translator
Pradyumnachandra Tiwari Product Details
मनुष्य यदि जीवन के लक्ष्य अर्थात् पूर्णत्व को प्राप्त करने का इच्छुक है तो उसके लिए यह आवश्यक है कि वह अपने मन के स्वभाव को भलीभाँति परख ले। मन की शक्तियाँ सचमुच बड़ी ही आश्चर्यजनक हैं। स्वामी विवेकानन्दजी ने इस पुस्तक में इन शक्तियों की बड़ी अधिकारपूर्ण रीति से विवेचना की है तथा उन्हें प्राप्त करने के साधन भी बताए हैं। स्वामीजी स्वयं एक सिद्ध महात्मा थे; उन्हें उन साधनाओं का पूर्ण ज्ञान था जिनके सहारे एक साधक चरम उद्देश्य अर्थात् आत्मानुभूति प्राप्त कर सकता है। यह सत्य है कि ये साधनाएँ भिन्न भिन्न व्यक्तियों के स्वभाव तथा उनकी प्रकृति के अनुसार अलग अलग हो सकती हैं। और इस पुस्तक में स्वामीजी ने उन साधनाओं को व्यवहार में लाने के लिए वे उपदेश तथा सुझाव दे दिए हैं जो साधक के लिए वास्तव में बड़े उपयोगी सिद्ध होंगे।