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DHYAN AUR ADHYATMIK JIVAN - H-190

H140 Dhyan Aur Adhyatmik Jivan ( ध्यान और आध्यात्मिक जीवन )

Non-returnable
Rs.190.00
Author
Swami Yatishwarananda
Pages
588
Translator
Swami Brahmeshananda

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Product Details
रामकृष्ण मठ, बंगलोर से प्रकाशित ‘Meditation and Spiritual Life’ पुस्तक का यह हिन्दी अनुवाद है। आध्यात्मिक जीवन की निष्ठापूर्वक साधना करनेवाले साधक-साधिकाओं के लिए यह ग्रन्थ बहुत महत्त्वपूर्ण और पथ-प्रदर्शक है। परमात्मप्राप्ति या ईश्वरसाक्षात्कार के लिए ‘ध्यान’ का अनन्यसाधारण स्थान है। साधारण तौर पर मनुष्य जिस देह और मन को ‘मैं’ कहकर जगत् में व्यवहार करता है वह उसका सत्य स्वरूप नहीं है। मनुष्य स्वरूपत: चैतन्य है। अज्ञान के कारण चैतन्यस्वरूप शुद्ध आत्मा का देह, मन और इन्द्रियों के साथ तादात्म्य हो जाता है और उसमें अहंकार का मिथ्या भ्रम निर्माण हो जाता है। यही अविद्या या माया है। जाग्रत, स्वप्न और सुषुप्ति इन तीनों अवस्थाओं में चैतन्य का तादात्म्य होने से हम स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीरों में बँध गये हैं। पर हमारा वास्तविक स्वरूप तुरीय नामक अतीन्द्रिय चेतनावस्था है जो अनन्त, शुद्ध-बुद्ध-मुक्त है। एकमात्र ध्यानयोग के साधन द्वारा ही यह अलौकिक आत्मानुभूति हमारे लिए यथार्थ हो सकती है।
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