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MA KARUNAMAYI SRI SARADA DEVI H-40

H167 Karunamai Ma Sarada (माँ करुणामयी श्रीसारदादेवी)

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Rs.40.00
Author
Br. Akshaya Chaitanya
Pages
334
Translator
Swami Rajendrananda
Product Details
युगावतार भगवान् श्रीरामकृष्ण ने अपनी लीलासहधर्मिणी श्रीसारदादेवी के बारे में कहा था, ‘‘वह सारदा है, सरस्वती है। ज्ञान देने के लिये आयी है। वह मेरी शक्ति है।’’विश्ववन्द्य युगाचार्य स्वामी विवेकानन्द ने कहा है, ‘‘हे भारत, मत भूलना कि तुम्हारी स्त्रियों का आदर्श सीता, सावित्री और दमयन्ती है।’’ पवित्रता तथा सरलता की प्रतिमूर्ति श्रीमाँ सारदा देवी में इन महीयसी नारियों के समान नित्यलीलामयी पतिप्राणा सहधर्मिणी के अतिरिक्त, सेवापरा कन्या, स्नेहशीला बहिन, शिष्यवत्सला गुरु तथा विशेषकर करुणामयी मुक्तिदायिनी माँ का भी आदर्श पाया जाता है जो असंख्य रूपों में प्रस्फुटित हुआ — कहीं तो वे अनेकों पापी-तापी शरणागत बद्ध और मुमुक्षु जीवों में भागवतरसास्वादन की रुचि पैदा करके अभय और मुक्ति का द्वार खोलने वाली हैं; कहीं अहैतुकी- कृपावश करुणाविगलित होकर जन्म-जन्मान्तरों से संसारज्वाला से दग्ध जीवों का उद्धार करने वाली क्षमारूपा महातपस्विनी गुरु हैं और कहीं गुरुपद को भी दिव्य मातृत्व की सर्वोच्च महिमा से विभूषित करके यह भक्तवत्सला माँ अपने दैनन्दिन जीवन में स्वयं को अति साधारण नारी की तरह प्रदर्शित करती हैं — राजराजेश्वरी होते हुए भी कङ्गालिनी के वेश में रहती हैं; आदर्श गृहिणी होते हुए भी आजीवन पवित्रता, त्याग, तपस्या, वैराग्य, ज्ञान तथा दिव्यता से युक्त चिद्घन अन्तरसंन्यासिनी हैं।
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