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श्री अक्षयकुमार सेन द्वारा बँगला भाषा में रचित ‘श्रीरामकृष्ण-महिमा’ इस ग्रन्थ का स्वामी निखिलात्मानन्दजी ने यह अनुवाद किया है। स्वामी निखिलात्मानन्दजी रामकृष्ण मठ, अलाहाबाद के अध्यक्ष है। प्रस्तुत ग्रन्थ रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द आश्रम, रायपुर द्वारा प्रकाशित ‘विवेक-ज्योति’ इस त्रैमासिक में धारावाहिक रूप से हिन्दी में प्रकाशित हुआ था। वही पाठकों के आग्रहार्थ हम प्रकाशित कर रहे हैं। श्रीरामकृष्णदेव ईश्वरत्व, पवित्रता और सरलता के मूर्तिमान् स्वरूप थे। उनके महिमामय दिव्यजीवन से तथा अमृतमय दैवीवाणी से संसार में भूले भटके भ्रमित आत्माओं को आध्यात्मिक मार्गदर्शन और परम शान्ति प्राप्त होती है। उनके इस अद्भुत जीवन में परम ज्ञान, शुद्धा भक्ति और काम-गंधहीन प्रेम का अपूर्व संगम दिखायी देता है। वे वास्तव में जगद्गुरू थे। फ्रेंच मनीषि श्री रोमाँ रोलाँ ने सारगर्भित शब्दों में उन्हें अपनी श्रद्धांजली अर्पण की है, ‘‘श्रीरामकृष्ण- देव तीस कोटि भारतीयों के उस अखण्ड आध्यात्मिक जीवन के पूर्ण प्रकाशस्वरूप थे, जिसकी पावनधारा विगत दो सहस्र वर्षों से सतत प्रवाहित होती आ रही है। इतना ही नहीं, उनके जीवनसंगीत से संसार के सहस्रों धर्मपन्थों एवं उपपन्थों के विभिन्न, परस्पर विरोधी दिखनेवाले स्वरों में समरसता लानेवाली मधुरध्वनि निकली है।’’