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यह संकलन ‘‘श्रीरामकृष्ण के तीन रूप’’ एवं ‘‘शिकागो धर्म महासभा’’ एवं ‘‘रामकृष्ण भावधारा’’ नामक पुस्तकों में प्रकाशित लेखों में से किया गया है, जो अब अनुपलब्ध हैं। इसके पहले भी सन् 2006 में श्रीमाँ सारदा के 150 वें जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में स्वामी ब्रह्मेशानन्द के श्रीमाँ सारदा से सम्बन्धित लेखों का संकलन ‘‘मातृदर्शन’’ नामक पुस्तक के रूप में छपा था। पुस्तक को दो खण्डों में विभक्त किया गया है, जो एक दूसरे के परिपूरक हैं। प्रथम खण्ड में विद्वान लेखक ने रामकृष्ण भावधारा के स्वरूप, सिद्धान्त, आदर्श एवं मूल्यों का गहराई से विवेचन किया है। द्वितीय खण्ड में श्रीरामकृष्ण के जीवन एवं चरित्र से सम्बन्धित कुछ लेखों को समाविष्ट किया गया है। वस्तुत: श्रीरामकृष्ण उच्चतम, नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के घनीभूत विग्रह थे। उनका जीवनवृत्तान्त शाश्वत आध्यात्मिक सत्यों का साक्षात् दिग्दर्शन ही था। यह बात इस खण्ड के अध्ययन से पाठक हृदयंगम कर सकेंगे।