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इस पुस्तक में स्वामीजी के कुछ महत्त्वपूर्ण प्रबन्ध संकलित हैं। इन लेखों के विषय भिन्न भिन्न होते हुए भी, इन सभी से धर्म, संस्कृति, इतिहास, सामाजिक उन्नति आदि विषयों के सम्बन्ध में स्वामीजी का आध्यात्मिक दृष्टिकोण प्रकट होता है। भारत धर्मभूमि है — साथ ही अनेक संस्कृतियों का सम्मिलन-क्षेत्र भी। भारतीय संस्कृति का विश्लेषण कर स्वामीजी ने दर्शाया है कि संसार को भारत की क्या देन है। भारत के ऐतिहासिक क्रमविकास का जो वर्णन स्वामीजी ने प्रस्तुत पुस्तक में किया है, वह अत्यन्त मौलिक तथा मननयोग्य है। स्वामीजी ने अपनी वैशिष्ट्यपूर्ण शैली में यह भी दिखलाया है कि धर्म का यथार्थ रहस्य क्या है तथा मानव के विकास के लिए वह किस प्रकार सहायक हो सकता है। साथ ही, मातृभूमि के प्रति स्वामीजी का अगाध प्रेम तथा उसके उद्धार के लिए उनकी तीव्र आकांक्षा भी प्रस्तुत पुस्तक में अनायास ही प्रकट होती है।