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Swami Vivekananda Pages
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Dr. Mahadevaprasad Sharma Choose Quantity
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स्वामी विवेकानन्द एक अपूर्व प्रतिभाशाली मनीषी थे। हमें केवल आध्यात्मिक क्षेत्र में ही उनकी इस अलौकिक प्रखर प्रतिभा का परिचय नहीं मिलता, वरन् जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में — मानव-जीवन से घनिष्ठ सम्बन्ध रखनेवाले प्रत्येक विषय में भी हम उसकी दिव्य झाँकी देखते हैं। यही कारण था कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के विख्यात प्रोफेसर मि. जे. एच. राइट ने उनकी प्रतिभा से प्रभावित हो कहा था, ‘‘आपसे परिचय-पत्र के लिए पूछना मानो सूर्य से यह पूछना है कि तुम्हारा चमकने का क्या अधिकार है!’’ उन्होंने यह भी लिखा, ‘‘मेरा विश्वास है कि यह अज्ञात हिन्दू संन्यासी हमारे सभी विद्वानों को एकत्रित करने पर जो कुछ हो सकता है, उससे भी अधिक विद्वान् है।’’ प्रस्तुत पुस्तक स्वामीजी द्वारा विभिन्न स्थानों पर दिए गए व्याख्यानों की टिप्पणियों का संग्रह है। इन व्याख्यानों में उन्होंने विविध महत्त्वपूर्ण प्रसंगों पर अपने मौलिक विचार प्रकट किये हैं; उदाहरणार्थ — भक्तियोग, कर्मयोग, कला, ज्ञानयोग, भाषा, संन्यासी और गृहस्थ, नियम और मुक्ति, आदि-आदि। यदि भारत स्वामीजी के इन जीवनप्रद विचारों द्वारा अपने को अनुप्राणित कर सके तो निश्चय ही वह अपनी अतीत गौरव-गरिमा का पुनर्लाभ कर सकेगा — इसमें कोई सन्देह नहीं। हमारा पूर्ण विश्वास है कि आज, जब हम नव-भारत की सर्वांगीण उन्नति के लिए कमर कसे हुए हैं, जीवन के विभिन्न पहलुओं पर स्वामीजी के ये उद्बोधक एवं रचनात्मक विचार अत्यन्त उपादेय सिद्ध होंगे।