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Swami Vivekananda Pages
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Pt. Suryakant Tripathi Nirala Choose Quantity
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‘स्मृतिग्रन्थमाला’ के इस ग्रंथ में स्वामी विवेकानन्दजी के पाश्चात्य देशों का भ्रमण-वृत्तान्त है जो उन्होंने मामूली बोलचाल की भाषा में एक डायरी के रूप में लिखा था। यत्न इस बात का किया गया है कि मौलिक वर्णन का पुट इस पुस्तक में ज्यों का त्यों बना रहे। स्वामीजी के हृदय में इस बात की उत्कट इच्छा थी कि भारतवर्ष इस अन्धकार की अवस्था से निकल कर एक बार फिर अपने पूर्व यश तथा गौरव को प्राप्त हो और इन्हीं भावों से प्रेरित हो उन्होंने अपने प्राच्य तथा पाश्चात्य देशों में भ्रमण के अनुभव के आधार पर उन कारणों को हमारे सामने रखा है जिनसे भारतवर्ष का पतन हुआ तथा हमें उन साधनों का भी दिग्दर्शन कराया है जिनके आधार पर भारतवर्ष फिर अपने उच्च शिखर पर पहुँच सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में जगह जगह पर ‘मारजिनल नोट’ के रूप में छोटे छोटे शीर्षक दे देने से स्वामीजी का मूल भ्रमण-वृत्तान्त अधिक सरल तथा मनोरंजक हो गया है।