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इसका पहला संस्करण इतने शीघ्र समाप्त हो गया यही इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है। वस्तुत: इस पुस्तक का प्रकाशन एक बड़े अभाव की पूर्ति है। युगावतार भगवान् श्रीरामकृष्णदेव के लक्ष लक्ष भक्तगण विश्व भर में फैले हुए हैं। उनमें से बहुतों की यह कामना रही है कि श्रीरामकृष्णदेव की विधिवत् पूजा-उपासना के लिए कोई प्रामाणिक साहित्य हिन्दी में उपलब्ध हो ताकि हिन्दी जाननेवाले बहुसंख्य भक्त उससे लाभ उठा सकें। इस माँग की पूर्ति के लिए उद्बोधन कार्यालय, कलकत्ता से प्रकाशित बँगला पुस्तक ‘श्रीरामकृष्णपूजापद्धति’ का आधार लेकर मूल बँगला पुस्तक के संकलनकर्ता, रामकृष्ण संघ के वरिष्ठ संन्यासी स्वामी हितानन्दजी के प्रत्यक्ष निर्देशन में प्रस्तुत पुस्तक की रचना की गयी थी। इस दूसरे संस्करण में अनेक आवश्यक परिवर्धन एवं संशोधन किये गये हैं जिससे पुस्तक की उपयोगिता और भी बढ़ गयी है। प्रस्तुत संस्करण में ‘पूजा-परिचय’ शीर्षक से एक नया अध्याय जोड़ दिया गया है, जिसमें पूजापद्धति के अन्तर्गत विविध आवश्यक विधियों के मर्मार्थ एवं उद्देश्य को समझाया गया है तथा पूजासम्बन्धि अनेक ज्ञातव्य विषयों का विवरण दिया गया है। पूजनप्रेमी सज्जनों का आग्रह देखकर इस संस्करण में हनुमानजी एवं शिवजी की पूजाविधियों के अलावा श्रीकाली, श्रीदुर्गा, श्रीकृष्ण एवं श्रीरामचन्द्रजी की सामान्य पूजा-विधियाँ भी जोड़ दी गयी हैं। यह परिवर्धन एवं संशोधन आदि स्वामी हितानन्दजी के निर्देशानुसार ही किया गया है।