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ISAVASYOPANISHAD E-25/-
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स्वामी आत्मानन्द जी की ईशावास्योपनिषद् व्याख्यासहित नामक नयी पुस्तक पाठकों के सम्मुख रखते हुए हमें बड़ी प्रसन्नता हो रही है। स्वामी विवेकानन्द जी ने उपनिषद्-मन्य ‘उत्तिष्ठत जाप्रत प्राप्य वरान्निबोधत’ का सम्पूर्ण देश में प्रचार कर सुषुप्त भारत को पुन: जापत करने का महान कार्य सम्पत्र किया। उन्होंने कहा ‘उठो, जागो और लक्ष्य प्राप्ति तक रुको मत।’ उपनिषद् हमारी आत्मशक्ति, आत्मगौरव को जाग्रत करते हैं। इसके मन्त्र हममें शक्ति का संचार करते हैं। ये हमारी प्रेरणाशक्ति है। ये हमारे स्वरूप का स्मरण कराते है और स्वस्वरूप की अनुभूति में सहायता करते हैं।