H101 Sri Saradadevi : Sankshipta Jivani Tatha Upadesh (श्रीसारदादेवी : संक्षिप्त जीवनी तथा उपदेश)
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Swami Apurvananda Pages
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वर्तमान-युगावतार भगवान् श्रीरामकृष्ण की दिव्य लीला को पुष्ट करने तथा उनके दिव्य प्रयोजन को परिपूर्ण करने साक्षात् ब्रह्मशक्ति ही उनकी सहधर्मिणी श्रीसारदादेवी के रूप में धराधाम में अवतीर्ण हुई थीं। जड़वाद या भोगवाद के घोर अन्धकार में मग्न संसार के समक्ष उन्होंने दिव्य मातृभाव या परमपावन आदर्श स्थापित किया। उनका यह दैवी मातृत्व आदर्श कन्या, आदर्श गृहिणी, आदर्श संन्यासिनी, आदर्श गुरु आदि विविध रूपों में प्रकट हुआ है। वे सारे संसार की माँ थीं। पवित्रता, सरलता, प्रेम, करुणा, त्याग, सेवा आदि अगणित दैवी गुणों से विभूषित उनका उज्ज्वल जीवन तथा उनके सरल आडम्बरहीन उपदेश मोहमुग्ध भ्रान्त जीव को परमसत्य तक पहुँचाने की क्षमता रखते हैं। माताजी के दिव्य जीवन एवं उपदेशों का जितना अधिक प्रचार-प्रसार होगा, उतना ही मानवजाति का कल्याण होगा। इस बात को ध्यान में रखते हुए यह संक्षिप्त जीवनी प्रकाशित की गई है।