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Swami Vivekananda Pages
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Pt. Suryakant Tripathi Nirala Choose Quantity
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पाश्चात्य देशों के भ्रमण से लौटने पर स्वामी विवेकानन्द ने सन 1897 में कोलम्बो से लेकर अल्मोड़ा तक यात्रा की थी, उसमें उन्हें स्थान-स्थान पर मान-पत्र प्रदान किये गए थे। स्वामीजी ने उन मान-पत्रों के उत्तर-स्वरूप जो अभिभाषण दिये थे, उनका संग्रह अंग्रेजी में ‘इण्डियन लेक्चर्स’ (Indian Lectures) नामक ग्रन्थ में प्रकाशित है। ‘‘भारत में विवेकानन्द’’* उसी पुस्तक का हिन्दी रूपान्तर है। इन भावयुक्त स्फूर्तिप्रद भाषणों में वेदान्त का सच्चा स्वरूप उद्घाटित है। इन्हें पढ़ने पर विदित हो जाता है कि स्वदेश तथा भारतीय संस्कृति के प्रति स्वामीजी की कितनी अपार श्रद्धा थी। उनके राष्ट्रनिर्माण सम्बन्धी वैध और ठोस विचारों के प्रचार की आज की परिस्थिति में कितनी आवश्यकता है, क्या इसे भी बतलाना होगा? स्वाधीन भारत अपने महापुरुषों के सदुपदेशों से लाभान्वित हो; यही इस पुस्तक प्रकाशन का उद्देश्य है।