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श्रीरामकृष्ण के शब्दों में स्वामी विवेकानन्द ‘ध्यानसिद्ध’ थे। इन ‘ध्यानसिद्ध’ महर्षि की गहन आध्यात्मिक अनुभूतियों के स्वयं उन्हीं के द्वारा किये गये विशद वर्णन के आधार पर ध्यान तथा इसकी पद्धतियाँ नामक यह पुस्तक पाठकों को प्रस्तुत करते हमें प्रसन्नता हो रही है। स्वामीजी ने न केवल भारतीय आध्यात्मिक चिन्तन की जाँची-परखी दीर्घ परम्परा के अनुसार ध्यान के अनेक पक्षों को हमारे समक्ष रखा है अपितु मनुष्य जीवन के ध्येय के लिये उसकी उपयोगिता भी बतायी है। साथ ही उन्होंने ध्यानमग्नता द्वारा सुप्त आध्यात्मिक शक्ति को जागृत करके दैनिक व्यावहारिक जीवन में भी दिव्यता की अभिव्यक्ति पर अत्यधिक बल दिया है।