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VIVEKA LAHARIH-22

H033 Viveklahari (विवेकलहरी: आध्यात्मिक अनुभूतिमय काव्य)

Non-returnable
Rs.22.00
Author
Swami Vivekananda
Pages
90
Translator
Pt. Suryakant Tripathi Nirala

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Product Details
प्रस्तुत संस्करण में स्वामी विवेकानन्दजी की जिन भी काव्यरचनाओं का हिन्दी में काव्यानुवाद है वह या तो सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’कृत है अथवा सुमित्रानन्दन पन्तकृत है। विवेकानन्द साहित्य के नवम खण्ड से ‘निराला’कृत तथा दशम खण्ड से पन्तकृत काव्यानुवाद लिया गया है। काव्यानुवादित प्रत्येक कविता के शीर्षकवाले पृष्ठ पर पादटिप्पणी में काव्यानुवादक का नाम दिया गया है। ‘निराला’जी तो रामकृष्ण-विवेकानन्द भावधारा के घनिष्ठ सम्पर्क में आए थे, पन्तजी ने भी स्वामीजी की काव्यरचनाओं के काव्यानुवाद में गहरी रुचि ली थी। स्वामी विवेकानन्दजी ने अपनी काव्यरचनाएँ अंग्रेजी, बंगला, संस्कृत एवं हिन्दी — इन चार भाषाओं में की थीं। अत: पाठकों की सुविधा हेतु इस पुस्तक के क्रमश: चार विभाग किए गए हैं। अनुवाद की दृष्टि से इस पुस्तक में ये काव्यरचनाएँ या तो 1) केवल काव्यानुवादित रूप में हैं, या 2) सुबोध होने के कारण केवल मूल रूप में हैं, अथवा 3) मूल रूप में भी हैं, उनका गद्यानुवाद भी दिया गया है। इस संस्करण के संवर्धनरूप में इसके तृतीय विभाग में श्रीरामकृष्णस्तोत्रम्-4, आमन्त्रम् तथा श्रीरामकृष्णवन्दना नामक शीर्षकवाली संस्कृत रचनाएँ भी समाविष्ट की गई हैं।
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