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Swami Vivekananda Pages
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पाठकगण स्वामी विवेकानन्दजी की ‘‘पत्रावली’’ से पूर्वपरिचित हैं ही। प्रस्तुत आग्निमन्त्र ग्रन्थ में हम पत्रावली से कुछ ऐसे पत्र समाविष्ट कर रहे हैं जो स्वामीजी ने अपने गुरुभाईयों, शिष्यों तथा मित्रों को लिखे हैं। इन सभी में हमें स्वामीजी का वास्तविक अंतरंग दर्शन होता है। इस संग्रह को हम स्वामीजी द्वारा रचित पंचम योग कह सकते हैं। इसमें सभी योगों का समन्वय हैं, तथा इसे जीवन में उतारने हेतु स्वामीजी अपनी आग्नि-प्रदीप्त वाणी से हमें आह्वान करते हैं। स्वामी विवेकानन्द के रूप में कौनसी महाशक्ति इस धरातल पर अवतीर्ण हुई थी इसकी कुछ कल्पना हमें इन पत्रों से प्राप्त होती है। उनका सार्वजनीन प्रेम, उनकी गहन आध्यात्मिकता तथा अत्यन्त उच्च कोटी का देशप्रेम इन्हीं पत्रों में दृष्टिगोचर होता है। उनके जीवन से हमें ऐसे महत्त्वपूर्ण तथ्य प्राप्त होते हैं, जिनके चिन्तन-मनन से हम हमारा दैनंदिन जीवन सुचारू रूप से व्यतीत कर सकते है। आज इस नवयुग में स्वामी विवेकानन्दजी के विचार ही एकमात्र आशा का प्रदीप है, जिसके आलोक में भारतवर्ष तथा भारतवासी अपनी खोयी हुई विरासत पुन: प्राप्त कर सकते हैं।