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साधक-अवस्था से ही स्वामी विवेकानन्द भगवान् बुद्ध के लोकोत्तर व्यक्तित्व के प्रति अत्यन्त आकर्षण अनुभव करते थे। इसी आकर्षण से प्रेरित हो श्रीरामकृष्णदेव के विद्यमान रहते ही वे अल्प समय के लिए बोधगया को जा आये थे तथा वहाँ पर उन्हें गम्भीर ध्यानावस्था में भगवान् बुद्ध के दिव्य आस्तत्व का जीता-जागता अनुभव आया था। स्वामीजी बौद्ध धर्मग्रन्थों का अत्यन्त श्रद्धापूर्वक अध्ययन-अनुशीलन करते थे तथा अपने गुरुभाइयों को भी इस ओर प्रोत्साहित करते थे। अपने जीवन के विभिन्न प्रसंगों में, उन्होंने बुद्धदेव के दिव्य जीवन, उपदेश, धर्म इत्यादि के विषय में अत्यन्त मूल्यवान विचार प्रकट किये हैं। उनमें से कुछ ही विचार लिपिबद्ध रूप में उपलब्ध हैं, परन्तु उन पर से भी स्वामीजी की बुद्धदेव के प्रति श्रद्धा-भक्ति की गम्भीरता की धारणा हो सकती है। साथ ही इन विचारों द्वारा बुद्धदेव के दिव्य व्यक्तित्व का सुन्दर चित्र हमारे सामने उपस्थित हो जाता है।
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